है अभी महताब बाक़ी और बाक़ी है शराब-गुल-ए-नग़मा-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri
है अभी महताब बाक़ी और बाक़ी है शराब-गुल-ए-नग़मा-फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri है अभी महताब बाक़ी और बाक़ी है शराब और बाक़ी मेरे तेरे दरम्याँ सदहा हिसाब। दीद अन्दर दीद, हैरानम हेजाब अन्दर हेजाब वाय बावस्फ़े ईं क़दर-राजो-नयाज़ ईं इजतेनाब। दिल में यूँ बेदार होते हैं ख़यालाते-ग़ज़ल आँख मलते …