मरम भिदै न जौ लौं करम न पावै तौलों-सुजानहित -घनानंद-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghananand 

मरम भिदै न जौ लौं करम न पावै तौलों-सुजानहित -घनानंद-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ghananand मरम भिदै न जौ लौं करम न पावै तौलों, मरमहिं भेदै कैसें सुरनि धोइयौ। राग हीते राग के सरूपसों चिन्हारि लेति, मैन हीन काननि असूझ टकटोइबौ। अकथ कथा है क्यों बखानियै अथा है तान, ब्यौरिबौ कथा है …

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