मरण-त्यौहार-बादर बरस गयो-गोपालदास नीरज-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gopal Das Neeraj

मरण-त्यौहार-बादर बरस गयो-गोपालदास नीरज-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gopal Das Neeraj पथिक! ठहरने का न ठौर जग, खुले पड़े सब द्वार और डोलियों का घर-घर पर लगा हुआ बाज़ार जन्म है यहाँ मरण-त्यौहार.. देख! धरा की नग्न लाश पर नीलाकाश खड़ा है सागर की शीतल छाती में ज्वालामुखी जड़ा है सूर्य उठाए …

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