मरण के द्वार पर-सागर-मुद्रा अज्ञेय-सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya,
मरण के द्वार पर-सागर-मुद्रा अज्ञेय-सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya, #1. ज्योति के भीतर ज्योति के भीतर ज्योति। प्यार है वह-वह सत् और तत् तदसि एवं-एतत्। #.2. कहीं एक है वह जिस का है यह। पर इस से मेरा क्या नाता जब कि इस से भी …