आओ, मन की गांठें खोलें-अनुभूति के स्वर-मेरी इक्यावन कविताएँ -अटल बिहारी वाजपेयी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita,
आओ, मन की गांठें खोलें-अनुभूति के स्वर-मेरी इक्यावन कविताएँ -अटल बिहारी वाजपेयी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita, यमुना तट, टीले रेतीले, घास–फूस का घर डाँडे पर, गोबर से लीपे आँगन मेँ, तुलसी का बिरवा, घंटी स्वर, माँ के मुंह मेँ रामायण के दोहे-चौपाई रस घोलें! आओ, मन की गांठें खोलें! बाबा की बैठक …