डरता हूँ कामियाबी-ए-तकदीर देखकर-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri
डरता हूँ कामियाबी-ए-तकदीर देखकर-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri डरता हूँ कामियाबी-ए-तकदीर देखकर यानी सितमज़रीफ़ी-ए-तकदीर देखकर कालिब में रूह फूँक दी या ज़हर भर दिया मैं मर गया ह्यात की तासीर देखकर हैरां हुए न थे जो तसव्वुर में भी कभी तसवीर हो गये तेरी तसवीर देखकर ख्वाबे-अदम से …