महाकाली कालिके- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev 

महाकाली कालिके- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev कपाल कङ कारिणी, खड़ग खंड धारिणी। महाकाली कालिके, नमामि भक्त तारणी।। मधु-कैटप संहार के, शुम्भ-निशुम्भ मार के। दुष्ट दुर्गम सीस को, धड़ से ही ऊतार के।। कष्ट सब निवारिणी, शस्ञ हस्त धारिणी। महाकाली कालिके, नमामि भक्त तारणी।। रक्तबीज को मिटाया, …

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अनकहे गीत- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev 

अनकहे गीत- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev प्रेम के गीत अब तक हैं गाये गये। दर्द के गीत तो, अनकहे रह गये।। द्रोपदी पिफर सभा में, झुकाये नजर, पाण्डवों का कहां खो गया वो असर। पिफर शिशुपाल भी दे रहा गालियां, कृष्ण भी देख कर देखते रह …

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देश किन्नरों को दे दो- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev 

देश किन्नरों को दे दो- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev देश नारों से घिरा, मैं हर सितम को सह रहा हूँ, आँख के आंसू मैं देखो अब खडा मैं बह रहा हूँ। और अत्त्याचार मुझसे देश मैं देखे न जाएं– आज शिव सा ही गरल मैं पान …

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चलो तिरंगे को लहरा लें- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev 

चलो तिरंगे को लहरा लें- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev अब सोया जन तंत्र जगा लें, जन-जन को विश्वास दिला लें। निर्भय होकर हम अम्बर में, चलो तिरंगे को लहरा लें॥ चौराहों पैर चीखें क्यों हैं, अर्थ-व्यवस्था मौन दिखती, मजदूरों की बस्ती में तो, अब रोटी क्यूँ …

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चोरी का गंगाजल- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev 

चोरी का गंगाजल- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev महाकुम्भ से गंगाजल मैं, चोरी करके लाया हूँ। नेताओं ने कर दिया गन्दा, संसद धोने आया हूँ॥ देश उदय का नारा देकर, जनता को बहकाते हैं, छप्पन वर्ष की आज़ादी को, भारत उदय बताते हैं। मंहगाई है कमर तोड़ती, …

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खतरा है- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev 

खतरा है- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev देशवासियों सुनो देश को, आज भयंकर खतरा है। जितना बाहर से खतरा, उतना भीतर से खतरा है॥ सर पर खरा चीन से है, लंका से खतरा पैरों में, अपने भाई दिख रहे हैं, जो बैठे हत्यारों में। इधर पाक से …

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राष्ट्रगान मुझको भी आता है- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev 

राष्ट्रगान मुझको भी आता है- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev जन गण मन बीमार पड़ा है, अधिनायक है कहाँ सो गया, भारत भाग्य विधाता भी तो, इन गलियों में कहीं खो गया। मेरे भारत के मस्तक पर, है आतंक की काली छाया – कर्णधार जितने भारत के, …

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कील पुरानी है- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev 

कील पुरानी है- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev नये साल का टँगा कलेण्डर कील पुरानी है। कीलों से ही रोज यहाँ होती मनमानी है।। सूरज आता रोज यहाँ पर लिए उजालों को। अपने आँचल रात समेटे, सब घोटालों को।। बचपन ही हत्या होती है, वहशी लोग हुए। …

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गंगाजल- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev 

गंगाजल- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev गंगाजल अंजलि में भरकर, सूरज का मुख धुलवायें। घना कुहासा, गहन अँधेरा, नया सवेरा ले आयें।। देश मेरे में बरसों से ही, नदी आग की बहती है। खून की धरा से हो लथपथ, धरती ही दुख सहती है। शमशानों के बिना …

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रिश्तों पर दीवारें- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev 

रिश्तों पर दीवारें- कविता -मनोहर लाल ‘रत्नम’ सहदेव-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Manohar Lal Ratnam Sahdev टूटी माला बिखरे मनके, झुलस गये सब सपने। रिश्ते नाते हुए पराये, जो कल तक थे अपने।। अंगुली पकड़ कर पाँव चलाया, घर के अँगनारे में, यौवन लेकर सम्मुख आया, वह अब बटवारे में। उठा नाम बटवारे का तो, …

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