मनुष्य- रेणुका-रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar
मनुष्य- रेणुका-रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar कैसी रचना! कैसा विधान! हम निखिल सृष्टि के रत्न-मुकुट, हम चित्रकार के रुचिर चित्र, विधि के सुन्दरतम स्वप्न, कला की चरम सृष्टि, भावुक, पवित्र। हम कोमल, कान्त प्रकृति-कुमार, हम मानव, हम शोभा-निधान, जानें किस्मत में लिखा हाय, विधि ने क्यों दुख का उपाख्यान? …