समधिन-2-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

समधिन-2-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi सरापा हुस्ने समधिन गोया गुलशन की क्यारी है। परी भी अब तो बाजी हुस्न में समधिन से हारी है। खिची कंघी, गुंथी चोटी, अभी पट्टी लगा काजल। कमां अब्रू नज़र जादू निगह हर एक दुलारी है। जबी माहताब, आंखें शोख़, शीरीं …

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समधिन-1-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

समधिन-1-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi करूं किस मुंह से ये यारो बयां मैं शान समधिन की। लगी है अब तो मेरे दिल को प्यारी आन समधिन की॥ चमन में हुस्न के हों उसके रुख़ और जुल्फ़ पर कु़बाँ। अगर देखें ज़रा सूरत गुले रेहान समधिन की॥ …

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सच्चे नफ़्श कुश (हीजड़े)-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

सच्चे नफ़्श कुश (हीजड़े)-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi बेटा हुआ किसी के जो सुन पावें हीजड़े। सुनते ही उसके घर में फिर आजावें हीजड़े॥ नाचें बजाके तालियां और गावें हीजड़े। ले लेके बेल भाव भी बतलावें हीजड़े॥ उसके बड़े नसीब जहां जावें हीजड़े॥ ज़ाहिर में गरचे …

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लूली पीर (बूढ़ी वेश्या)-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

लूली पीर (बूढ़ी वेश्या)-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi $ $ जो $ $ $ कोई हो जाती है बुढ़िया। फिर जान कहलाने से यह शरमाती है बुढ़िया॥ हर काम में हर बात में शरमाती है बुढ़िया। दिन रात इसी सोच में ग़म खाती है बुढ़िया॥ सर …

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मवाज़नए ज़ोरो कमज़ोरी-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

मवाज़नए ज़ोरो कमज़ोरी-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi ज़ोर जब तक कि हमारे बदनो तन में रहा। पच गई दम में, अगर कैसी ही असक़ल थी दवा। खूंदे गुलज़ारो-चमन गुलशनो बाग़ो सहरा। दौड़े हर सैर तमाशे में खु़शी से हरज़ा। ज़ोर की खू़बियां लाखों हैं कहूं मैं …

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 जवानी बुढ़ापे की लड़ाई-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

जवानी बुढ़ापे की लड़ाई-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi जहां में यारो खु़दा की भी क्या खु़दाई है। कि हर किसी को तकब्बुर है, खु़दनुमाई है। इधर जवानी बुढ़ापे पे चढ़ के आई है। उधर बुढ़ापे की उस पर हुई चढ़ाई है। अजब जवानी, बुढ़ापे की अब …

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बुढ़ापे की तअल्लियाँ-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

बुढ़ापे की तअल्लियाँ-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi जो नौजवां हैं उनके दिल में गुमान क्या है। जो हम में कस है उनमें ताबो तुबान क्या है। बूढ़ा अधेड़ अमका ढमका फलान क्या है। हमसे जो हो मुक़ाबिल पट्ठे में जान क्या है। अब भी हमारे आगे …

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बुढ़ापा-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

बुढ़ापा-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi क्या क़हर है यारो जिसे आजाये बुढ़ापा। और ऐश जवानी के तई खाये बुढ़ापा॥ इश्रत को मिला ख़ाक में ग़म लाये बुढ़ापा। हर काम को हर बात को तरसाये बुढ़ापा॥ सब चीज़ को होता है बुरा हाय! बुढ़ापा। आशिक़ को तो …

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जवानी के मज़े-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

जवानी के मज़े-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi क्या ऐश की रखती है सब आहंग जवानी। करती है बहारों के तई दंग जवानी॥ हर आन पिलाती है मै और बंग जवानी। करती है कहीं सुलह कहीं जंग जवानी॥ इस ढब के मजे़ रखती है और ढंग जवानी। …

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 जवानी-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

जवानी-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi बना है अपने आलम में वह कुछ आलम जवानी का। कि उम्रे खिज्र से बेहतर है एक एक दम जवानी का॥ नहीं बूढ़ों की दाढ़ी पर मियां यह रंग बिस्मे का। किया है उनके एक एक बाल ने मातम जवानी का॥ …

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