समधिन-2-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi
समधिन-2-मनुष्य जीवन के रंग-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi सरापा हुस्ने समधिन गोया गुलशन की क्यारी है। परी भी अब तो बाजी हुस्न में समधिन से हारी है। खिची कंघी, गुंथी चोटी, अभी पट्टी लगा काजल। कमां अब्रू नज़र जादू निगह हर एक दुलारी है। जबी माहताब, आंखें शोख़, शीरीं …