मनिहारी-नरिन्द्र कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Narinder Kumar

मनिहारी-नरिन्द्र कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Narinder Kumar   मेरा वो दोस्त जो था मनिहारी देखते देखते हो गया सरकारी बांटता है चूड़ियां तोड़ने का सामान अब बिना मेहनताने का दरबारी।