मधु में भी तो छुपा गरल है-नदी किनारे-गोपालदास नीरज-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gopal Das Neeraj

मधु में भी तो छुपा गरल है-नदी किनारे-गोपालदास नीरज-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gopal Das Neeraj मधु में भी तो छुपा गरल है! उषा विहँसती प्रात गगन में संध्या की स्याही बनने को, और खोलती आँख ज़िन्दगी केवल मंज़िल तक चलने को, चिर-किशोर मधुमय वसंत भी पतझर का ही पाता फल है! …

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