मधुशाला-हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 2

मधुशाला-हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 2 परिशिष्ट से स्वयं नहीं पीता, औरों को, किन्तु पिला देता हाला, स्वयं नहीं छूता, औरों को, पर पकड़ा देता प्याला, पर उपदेश कुशल बहुतेरों से मैंने यह सीखा है, स्वयं नहीं जाता, औरों को पहुंचा देता मधुशाला। मैं कायस्थ कुलोदभव मेरे पुरखों …

Read more

मधुशाला-हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 1

मधुशाला-हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 1 मधुशाला मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला, पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१। प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला, …

Read more