मन बावला फिर बोला-एक प्रयाण-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal

मन बावला फिर बोला-एक प्रयाण-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal ऐसी भी होती है माया किसने जानी बीती यादों से इतना पानी बह गया जैसे सावन की मनमानी फिर ऋतुओं पर रंग चढ़ा जब आँखों पर कल श्रृंगार मढ़ा मरती नहीं है इच्छा, हो कितनी पुरानी ऐसी भी होती है माया किसने जानी ||१|| …

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अन्तरंग-एक प्रयाण-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal

अन्तरंग-एक प्रयाण-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal बतलाओ कौन करेगा पहले बात मौन मरा कबसे अटका, टूट ह्रदय से जिव्हा में लटका, दरबान सा खड़ा अहम् बीच में, किसे थामता वह अपने हाथ, बतलाओ कौन करेगा पहले बात ||१|| बात एक बनी तो मन फिर उलझा, समय खिंचा पर कुछ न सुलझा, जीवंत प्यार …

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कथा एक रात की-एक प्रयाण-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal

कथा एक रात की-एक प्रयाण-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal यह दिन भी कितनी जल्दी ढलता है प्रत्युषा में उठता मन जलता है तृष्णा में वह मृग सा दौड़ा जाता है बीती स्मृतियाँ साथ लिए पथ में कहीं थका रसिक ठूंठ से टिका रोता है यह दिन भी कितनी जल्दी ढलता है ||१|| तुम्हे …

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मधुबाला-एक प्रयाण-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal

मधुबाला-एक प्रयाण-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal तुम बहती रुधिर मेरी, तुम्हे रग-रग में भर डाला, तुमसे ही सीखा मैंने जीवन में मधु लिप्त वर्णमाला, प्यार लिए तुम संग कितनी दूर निकल आया पथिक, फिर भी दिन खुलता है तुम्हारी ही करवट मधुबाला ||१|| अँधेरा छाने लगा है अब तोड़ दिन का उजियाला, सो …

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कुछ कह लूँ पहले…-एक प्रयाण-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal

कुछ कह लूँ पहले…-एक प्रयाण-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal अकेलापन एक शाश्वत अनुभव है. जब प्रयाण के तीसरे चरण में पहुँच जाते हैं तो प्यार के प्रति संवेदना पहले जैसी नहीं होती. साथ रहना और साथ जीना दोनों की परिभाषा बहुत अलग है. ‘मधुबाला’ समय को बाँधने का एक प्रयास है. इस संकलन …

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