मन बावला फिर बोला-एक प्रयाण-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal
मन बावला फिर बोला-एक प्रयाण-राजगोपाल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rajagopal ऐसी भी होती है माया किसने जानी बीती यादों से इतना पानी बह गया जैसे सावन की मनमानी फिर ऋतुओं पर रंग चढ़ा जब आँखों पर कल श्रृंगार मढ़ा मरती नहीं है इच्छा, हो कितनी पुरानी ऐसी भी होती है माया किसने जानी ||१|| …