मधुप गुनगुनाकर कह जाता-लहर-जयशंकर प्रसाद-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaishankar Prasad

मधुप गुनगुनाकर कह जाता-लहर-जयशंकर प्रसाद-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaishankar Prasad मधुप गुनगुना कर कह जाता कौन कहानी अपनी, मुरझा कर गिर रही पत्तियां देखो कितनी आज घनी इस गंभीर अनंत नीलिमा में अस्संख्य जीवन-इतिहास- यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास तब बही कहते हो-काह डालूं दुर्बलता अपनी बीती …

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