मधुकलश -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 4

मधुकलश -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 4   मेघदूत के प्रति (1) “मेघ” जिस जिस काल पढ़ता, मैं स्वयं बन मेघ जाता! हो धरणि चाहे शरद की चाँदनी में स्नान करती, वायु ऋतु हेमंत की चाहे गगन में हो विचरती, हो शिशिर चाहे गिराता पीत-जर्जर पत्र तरू के, …

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मधुकलश -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 3

मधुकलश -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 3   पथभ्रष्ट है कुपथ पर पाँव मेरे आज दुनिया की नज़र में! (१) पार तम के दीख पड़ता पार तम के दीख पड़ता एक दीपक झिलमिलाता, जा रहा उस ओर हूँ मैं मत्त-मधुमय गीत गाता, इस कुपथ पर या सुपथ पर …

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मधुकलश -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 2

मधुकलश -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 2   कवि की वासना   कह रहा जग वासनामय हो रहा उद्गार मेरा! १ सृष्टि के प्रारंभ में सृष्टि के प्रारंभ में मैने उषा के गाल चूमे, बाल रवि के भाग्य वाले दीप्त भाल विशाल चूमे, प्रथम संध्या के अरुण दृग …

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मधुकलश -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 1

मधुकलश -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 1   मधुकलश (कविता) है आज भरा जीवन मुझमें, है आज भरी मेरी गागर! 1 सर में जीवन है, इससे ही सर में जीवन है, इससे ही वह लहराता रहता प्रतिपल, सरिता में जीवन,इससे ही वह गाती जाती है कल-कल निर्झर में …

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