मदनाष्टक -रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Madnashtak
मदनाष्टक -रहीम -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Madnashtak शरद-निशि निशीथे चाँद की रोशनाई । सघन वन निकुंजे वंशी बजाई ।। रति, पति, सुत, निद्रा, साइयाँ छोड़ भागी । मदन-शिरसि भूय: क्या बला आन लागी ।।1।। कलित ललित माला या जवाहिर जड़ा था । चपल चखन वाला चाँदनी में खड़ा था ।। कटि-तट बिच मेला पीत …