मगर ये ज़ख़्म ये मरहम-नज़्में-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia
मगर ये ज़ख़्म ये मरहम-नज़्में-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia तुम्हारे नाम तुम्हारे निशाँ से बे-सरोकार तुम्हारी याद के मौसम गुज़रते जाते हैं बस एक मन्ज़र-ए-बे-हिज्र-ओ-विसाल है जिस में हम अपने आप ही कुछ रंग भरते जाते हैं न वो नशात-ए-तसव्वुर कि लो तुम आ ही गए न ज़ख़्म-ए-दिल …