मंदिर दियना बार-कविता-पूर्णिमा वर्मन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Purnima Varman

मंदिर दियना बार-कविता-पूर्णिमा वर्मन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Purnima Varman मंदिर दियना बार सखी री मंदिर दियना बार! बिनु प्रकाश घट घट सूनापन सूझे कहीं न द्वार! कौन गहे गलबहियाँ सजनी कौन बँटाए पीर कब तक ढोऊँ अधजल घट यह रह-रह छलके नीर झंझा अमित अपार सखी री आँचल ओट सम्हार चक्रों …

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