शक्ति-मंत्र-साधन-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

 शक्ति-मंत्र-साधन-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, जिसे है मानवता का ज्ञान, नहीं पशुता से जिसकी प्रीति; बिना त्यागे विनयन का पंथ लोक-नियमन है जिसकी नीति। क्रोध जिसका है शांति-निकेत, लोभ जिसका लालसा-विहीन; मोह जिसका है महिमावान, काम जिसका अकामनाधीन। न मद में मादकता का नाम, न तन …

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शिक्षा का उपयोग-मंत्र-साधन-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

शिक्षा का उपयोग-मंत्र-साधन-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, शिक्षा है सब काल कल्प-लतिका-सम न्यारी; कामद, सरस महान, सुधा-सिंचित, अति प्यारी। शिक्षा है वह धारा, बहा जिस पर रस-सोता; शिक्षा है वह कला, कलित जिससे जग होता। है शिक्षा सुरसरि-धार वह, जो करती है पूततम; है शिक्षा वह …

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त्याग भूमि-मंत्र-साधन-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

त्याग भूमि-मंत्र-साधन-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, बन गया मूर्तिमान आतंक बहु प्रबल भूत पाप-परिपाक; सत्यता-सूत्र हो गया छिन्न; धूल में मिली धर्म की धाक। किंतु किसके खुल पाए नेत्र, किया किस जन ने उसका त्राण, बिंधा किस धर्म वीर का मर्म, दिया किस धर्म-प्राण ने प्राण। …

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त्याग-मंत्र-साधन-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

त्याग-मंत्र-साधन-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, भयंकर-भाव-विभव-अभिभूत, स्वार्थ-तम-तोम-आवरित ओक, लाभ करता है ललित विकास त्याग-रवि तेज-पुंज अवलोक। गृह-कलह-बेलि कठोर कुठार, जाति-गत वैर-पयोद समीर, निवारण-रत समाज-संताप त्याग है सुरसरि शीतल नीर। कालिमामय जिसका है अंक, तिमिर-मज्जित है जिसका गात, उस कुमति-रजनी का है त्याग राग-अनुरंजित दिव्य प्रभात। हो …

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 सिध्दि-साधना-मंत्र-साधन-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh,

 सिध्दि-साधना-मंत्र-साधन-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’’-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ayodhya Singh Upadhyay Hariaudh, कैसा आया समय, बदला काल का रंग कैसा, होती जाती भरत-भुवि की आज कैसी दशा है; आँखें खोलें विबुध-समझें देश की सर्व बातें, सोचें होके प्रयत, युग के धर्म का मर्म क्या है। आशा होवे उदय उर में, दूर नैराश्य होवे, …

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