बल्देव जी का मेला-मेले खेल तमाशे -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

बल्देव जी का मेला-मेले खेल तमाशे -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi क्या वह दिलबर कोई नवेला है? नाथ है, और कहीं वह चेला है। मोतिया हैं, चंबेली बेला है। भीड़ अम्बोह है, अकेला है। शहरी, क़स्बाती और गंवेला है। ज़र5 अशर्फी है, पैसा, धेला है। एक क्या-क्या वह खेल …

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