साईं, बैर न कीजिए, गुरु, पंडित, कवि, यार- (लोक-नीति)-कुण्डलियाँ -गिरिधर कविराय-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Giridhar Kavirai
साईं, बैर न कीजिए, गुरु, पंडित, कवि, यार- (लोक-नीति)-कुण्डलियाँ -गिरिधर कविराय-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Giridhar Kavirai साईं, बैर न कीजिए, गुरु, पंडित, कवि, यार । बेटा, बनिता, पँवरिया, यज्ञ–करावनहार ॥ यज्ञ–करावनहार, राजमंत्री जो होई । विप्र, पड़ोसी, वैद्य, आपकी तपै रसोई ॥ कह गिरिधर कविराय, जुगन ते यह चलि आई इअन …