गलीं असी चंगीआ आचारी बुरीआह-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji
गलीं असी चंगीआ आचारी बुरीआह-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji गलीं असी चंगीआ आचारी बुरीआह ॥ मनहु कुसुधा कालीआ बाहरि चिटवीआह ॥ रीसा करिह तिनाड़ीआ जो सेवहि दरु खड़ीआह ॥ नालि खसमै रतीआ माणहि सुखि रलीआह ॥ होदै ताणि निताणीआ रहहि निमानणीआह ॥ नानक जनमु सकारथा …