दस बालतणि बीस रवणि तीसा का सुंदरु कहावै -सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji
दस बालतणि बीस रवणि तीसा का सुंदरु कहावै -सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji दस बालतणि बीस रवणि तीसा का सुंदरु कहावै ॥ चालीसी पुरु होइ पचासी पगु खिसै सठी के बोढेपा आवै ॥ सतरि का मतिहीणु असीहां का विउहारु न पावै ॥ नवै का सिहजासणी …