एक कलम गुलाब की-गुरमीत मल्होत्रा-हिंदी कविता-Gurmeet Malhotra-Hindi Poetry
एक कलम गुलाब की-गुरमीत मल्होत्रा-हिंदी कविता-Gurmeet Malhotra-Hindi Poetry उसके तन के एक हिस्से को कर दिया मैंने उससे जुदा, फिर भी चेहरे पे मुस्कान की कैसी थी उसकी ये अदा । शायद उसे भी इस बात का इल्म होगा, उसके तन से जुदा होकर भी कहीं कोई गुलाब जरूर खिला होगा ।। मेरे दिए दुख …