युद्ध का आखिरी दिन नहीं होता-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill

युद्ध का आखिरी दिन नहीं होता-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill   दशहरा युद्ध का आखिरी दिन नहीं दसवां दिन होता है। युद्ध तो जारी रखना पड़ता। सबसे पहले अपने ख़िलाफ़ जिसमें सदियों से रावण डेरा डाले बैठा है। तृष्णा का स्वर्णमृग छोड़ देता है रोज़ सवेरे हमें छलावे में …

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मिल जाया कर-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill

मिल जाया कर-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill   इस तरह ही मिल जाया कर जीवित रहने का भ्रम बना रहता है। फ़िक्रों का चक्रव्यूह टूट जाता है कुछ दिन अच्छे गुज़र जाते हैं रातों को नींद नहीं उचटती मिल जाया कर। शाम सवेरे चलती है रहट अच्छी लगती है …

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कविता लिखा करो-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill

कविता लिखा करो-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill   कविता लिखा करो दर्दो को धरती मिलती है। कोरे पन्नों को सौंपा करो रूह का सारा भार। यह लिखने से नींद में खलल नहीं पड़ती। तुम्हारे पास बहुत कुछ है कविता जैसा सिर्फ स्वयं को अनुवाद करो पिघल जाओ सिर से …

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किधर गए असवार-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill

किधर गए असवार-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill   जिनको था भ्रम भुलेखा, हम हैं वक़्त पर सवार वक़्त हमसे पूछ कर चलता, बहती है दरिया की धार। वृक्षों के पात हिलाएं हम। भ्रम सृजते, बड़के दावेदार। कहते थे जो बाँध बिठाएँ धरती, सूरज, आग औ’ पानी पवन को गाँठे …

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अब दुश्मन ने भेष बदला-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill

अब दुश्मन ने भेष बदला-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill   सरहदों की रखवाली कर रहे हाथ और हथियार भी बेकार होकर बैठ गए। नए नवेले दुश्मन से पाने को त्राण पूरी दुनिया के लोग फ़िक्रों से घिर कर बैठ गए। कुल आलम ने विश्वयुद्ध दो आँखों से देखा यह …

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सुनो कहता दीप ललकार के-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill

सुनो कहता दीप ललकार के-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill   सुनो कहता दीप ललकार के अंधेरों संग मेरी जंग है। वक़्त बदलने को साथ दो मेरा मेरी तो अब यही मांग है। लेकिन अगर खुद ही सोये रहना हो चाहते रातों सर इल्ज़ाम न देना प्रभात का उत्सव उसने …

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कितना सुंदर ख़त-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill

कितना सुंदर ख़त-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill   कितना सुंदर ख़त लिखा है तुमने शब्दों की जगह खिली हैं पत्तियां सी झूमती हवाएँ घर हैं आई तेरी ही तरह मदमस्त सी तेरे इस अंदाज पर सदके मैं जाऊँ बलिहार तुझ पर से बिन मिले ही हम दोनों ने मिल …

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संघर्षनामा-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill

संघर्षनामा-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill   पहले तो सुना था अब आँखों से देखा है चींटियों ने तोड़ दिया है पहाड़। कीकर बीज कर किशमिश की रखता चाह फिर रहा कांटे चुनता। तेरे उत्पाती संग थे उठने-बैठने अब तुझे अकेला छोड़ गए हैं। हम गर्म लोहों की संतानें अब …

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तू पूछता है तो सुन-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill

तू पूछता है तो सुन-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill   दूर रहते मेरे बहुमूल्य दोस्त! तू पूछता है तुझे निकट चुनाव में दल बदलते राजनेता कैसे लगते हैं? तू पूछता है तो सुन बिल्कुल वैसे जैसे गाँव के कच्चे घर रात में खाटों तले भागे फिरते चूहे नीचे-ऊपर एकदूसरे …

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सीधी बात-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill

सीधी बात-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill   हमें हुक्म न दें हमसे बात करें। हुक्म मालिक देता है। आपको हमने मालिक नहीं अपना प्रतिनिधि चुना है। हमसे अपनों की तरह बात करें जो कहोगे, सुनेंगे। हमारे मालिक न बनें। हमारी रगों में हुक्म के लिए अवमानना है। प्यार के …

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