ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia

ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia शहर-ब-शहर कर सफ़र ज़ाद-ए-सफ़र लिए बग़ैर-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia फ़ुर्क़त में वसलत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia कू-ए-जानाँ में और क्या माँगो-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया …

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शहर-ब-शहर कर सफ़र ज़ाद-ए-सफ़र लिए बग़ैर-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia

शहर-ब-शहर कर सफ़र ज़ाद-ए-सफ़र लिए बग़ैर-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia शहर-ब-शहर कर सफ़र ज़ाद-ए-सफ़र लिए बग़ैर कोई असर किए बग़ैर कोई असर लिए बग़ैर कोह-ओ-कमर में हम-सफ़ीर कुछ नहीं अब ब-जुज़ हवा देखियो पलटियो न आज शहर से पर लिए बग़ैर वक़्त के मा’रके में थीं मुझ को …

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फ़ुर्क़त में वसलत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia

फ़ुर्क़त में वसलत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia फ़ुर्क़त में वसलत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में आशोब-ए-वहदत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में रूह-ए-कुल से सब रूहों पर वस्ल की हसरत तारी है इक सर-ए-हिकमत बरपा है अल्लाह-हू के बाड़े में बे-अहवाली …

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कू-ए-जानाँ में और क्या माँगो-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia

कू-ए-जानाँ में और क्या माँगो-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia कू-ए-जानाँ में और क्या माँगो हालत-ए-हाल यक सदा माँगो हर-नफ़स तुम यक़ीन-ए-मुनइम से रिज़्क़ अपने गुमान का माँगो है अगर वो बहुत ही दिल नज़दीक उस से दूरी का सिलसिला माँगो दर-ए-मतलब है क्या तलब-अंगेज़ कुछ नहीं वाँ सो …

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ख़ुद से रिश्ते रहे कहाँ उन के-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia

ख़ुद से रिश्ते रहे कहाँ उन के-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia ख़ुद से रिश्ते रहे कहाँ उन के ग़म तो जाने थे राएगाँ उन के मस्त उन को गुमाँ में रहने दे ख़ाना-बर्बाद हैं गुमाँ उन के यार सुख नींद हो नसीब उन को दुख ये है दुख …

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नहीं निबाही ख़ुशी से ग़मी को छोड़ दिया-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia

नहीं निबाही ख़ुशी से ग़मी को छोड़ दिया-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia नहीं निबाही ख़ुशी से ग़मी को छोड़ दिया तुम्हारे बा’द भी मैं ने कई को छोड़ दिया हों जो भी जान की जाँ वो गुमान होते हैं सभी थे जान की जाँ और सभी को छोड़ …

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शाम थी और बर्ग-ओ-गुल शल थे मगर सबा भी थी-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia

शाम थी और बर्ग-ओ-गुल शल थे मगर सबा भी थी-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia शाम थी और बर्ग-ओ-गुल शल थे मगर सबा भी थी एक अजीब सुकूत था एक अजब सदा भी थी एक मलाल का सा हाल महव था अपने हाल में रक़्स-ओ-नवा थे बे-तरफ़ महफ़िल-ए-शब बपा …

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तिफ़्लान-ए-कूचा-गर्द के पत्थर भी कुछ नहीं-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia

तिफ़्लान-ए-कूचा-गर्द के पत्थर भी कुछ नहीं-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia तिफ़्लान-ए-कूचा-गर्द के पत्थर भी कुछ नहीं सौदा भी एक वहम है और सर भी कुछ नहीं मैं और ख़ुद को तुझ से छुपाऊँगा या’नी मैं ले देख ले मियाँ मिरे अंदर भी कुछ नहीं बस इक गुबार-ए-वहम है …

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हवास में तो न थे फिर भी क्या न कर आए-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia

हवास में तो न थे फिर भी क्या न कर आए-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia हवास में तो न थे फिर भी क्या न कर आए कि दार पर गए हम और फिर उतर आए अजीब हाल के मजनूँ थे जो ब-इश्वा-ओ-नाज़ ब-सू-ए-बाद ये महमिल में बैठ कर …

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वो ख़याल-ए-मुहाल किस का था-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia

वो ख़याल-ए-मुहाल किस का था-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia वो ख़याल-ए-मुहाल किस का था आइना बे-मिसाल किस का था सफ़री अपने आप से था मैं हिज्र किस का विसाल किस का था मैं तो ख़ुद में कहीं न था मौजूद मेरे लब पर सवाल किस का था थी …

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