गुब्बारे-रात पश्मीने की-गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar 

गुब्बारे-रात पश्मीने की-गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar इक सन्नाटा भरा हुआ था, एक गुब्बारे से कमरे में, तेरे फोन की घंटी के बजने से पहले। बासी सा माहौल ये सारा थोड़ी देर को धड़का था साँस हिली थी, नब्ज़ चली थी, मायूसी की झिल्ली आँखों से उतरी कुछ लम्हों को– फिर …

Read more