गुज़राँ हैं गुज़रते रहते हैं-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia

गुज़राँ हैं गुज़रते रहते हैं-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia गुज़राँ हैं गुज़रते रहते हैं हम मियाँ जान मरते रहते हैं हाए जानाँ वो नाफ़-प्याला तिरा दिल में बस घूँट उतरते रहते हैं दिल का जल्सा बिखर गया तो क्या सारे जलसे बिखरते रहते हैं या’नी क्या कुछ भुला …

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