गीत- रसवन्ती -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar

गीत- रसवन्ती -रामधारी सिंह ‘दिनकर’ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Ramdhari Singh Dinkar उर की यमुना भर उमड़ चली, तू जल भरने को आ न सकी; मैं ने जो घाट रचा सरले! उस पर मंजीर बजा न सकी। दिशि-दिशि उँडेल विगलित कंचन, रँगती आई सन्ध्या का तन, कटि पर घट, कर में नील वसन; कर …

Read more