गीत-फ़रोश-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

गीत-फ़रोश-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   जी हाँ हुजूर, मैं गीत बेचता हूँ। मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूँ; मैं क़िसिम-क़िसिम के गीत बेचता हूँ। जी, माल देखिए दाम बताऊँगा, बेकाम नहीं है, काम बताऊंगा; कुछ गीत लिखे हैं मस्ती में मैंने, कुछ गीत लिखे हैं पस्ती में मैंने; यह …

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घर की याद-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

घर की याद-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   आज पानी गिर रहा है, बहुत पानी गिर रहा है, रात भर गिरता रहा है, प्राण मन घिरता रहा है, अब सवेरा हो गया है, कब सवेरा हो गया है, ठीक से मैंने न जाना, बहुत सोकर सिर्फ़ माना— क्योंकि बादल की …

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सतपुड़ा के जंगल-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

सतपुड़ा के जंगल-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   सतपुड़ा के घने जंगल नींद मे डूबे हुए-से, ऊँघते अनमने जंगल। झाड़ ऊँचे और नीचे, चुप खड़े हैं आँख मीचे, घास चुप है, कास चुप है मूक शाल, पलाश चुप है। बन सके तो धँसो इनमें, धँस न पाती हवा जिनमें, सतपुड़ा …

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आज निश्चित हो-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

आज निश्चित हो-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   असि एक है मसि एक हैँ मसि चुनी मैंने, असि चुनी तैंने; मैं उतर लूँ क़लम से मसि बिंदु, तू बहा असि से रकत के सिंधु, मैं जगत बदलूँ कि तू बदले जगत ! आज निश्चित हो कि वह असि-धार पैनी है …

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लुहार से-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

लुहार से-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   मुझे एक तलवार बना दे, हवा की जो लहरों पर दौड़े इतनी हल्की धार बना दे । लंबाई उसकी कितनी हो ? पूरी बढ़ी फसल गेहूँ की बढ़ते-बढ़ते तक जितनी हो; और लचीली तेज साँप-सी, सौ-सौ आँखों वाली बिजली की तड़पन, बे-वक़्त काँप-सी; …

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फूल और दिन-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

फूल और दिन-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   सुबह होते ही फूल, हवा में झूल, खोल देता हैं अपने दल ओस पी लेता है केवल– पियासा रवि; फैल जाती है छवि । शाम को, दिन के साथ, झुका कर माथ, फूल रह जाता है चुपचाप, हृदय पर रख कर दिन …

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सन्नाटा-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

सन्नाटा-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   तो पहले अपना नाम बता दूँ तुमको, फिर चुपके चुपके धाम बता दूँ तुमको तुम चौंक नहीं पड़ना, यदि धीमे धीमे मैं अपना कोई काम बता दूँ तुमको। कुछ लोग भ्रान्तिवश मुझे शान्ति कहते हैं, कुछ निस्तब्ध बताते हैं, कुछ चुप रहते हैं मैं …

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वे हँसे और आया वसन्‍त-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

वे हँसे और आया वसन्‍त-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   वे हँसे और आया वसन्त‍, खिल गये फूल, लद गयी डाल, भौरों ने गाना शुरू किया, पत्ते हिल कर दे चले ताल । हर फूल नयी पोशाक पहिन, जग के आँगन में झूम गया, हर भौंरा मस्ती में भर कर, …

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पहली बातें-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

पहली बातें-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   अब क्या होगा इसे सोच कर, जी भारी करने मे क्या है, जब वे चले गए हैं ओ मन, तब आँखें भरने मे क्या है, जो होना था हुआ, अन्यथा करना सहज नहीं हो सकता, पहली बातें नहीं रहीं, तब रो रो कर …

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क़िस्मत !-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

क़िस्मत !-गीत-फ़रोश-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   फूल कोमल, स्वच्छ तारा और पानीदार मोती, ओस चंचल, अचल पाहन, हैं तुम्हारे सभी गोती; सभी ने तुमसे लिया कुछ या सभी ने कुछ दिया है, किन्तु क्या तुमने अनादर कभी इनका भी किया है ? चूक मेरी ही बड़ी क्‍यों यदि तुम्हें …

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