गीतिका (४)-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi
गीतिका (४)-शंकर कंगाल नहीं-शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi मत यों उदास हो मन, मेरी साधना में बल है। भगवान भी मिलेगा, मेरी भावना विमल है।। सब साथ दे उठेंगे, मेरी योजना सरल है। सब रो उठेंगे सचमुच, मेरी वेदना सकल है।। सब नीड़ मान लेंगे, मेरी सर्जना सफल …