गिरे हैं जब भी अश्क उनकी आंखों से कभी- शायरी-कृष्ण बेताब -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Krishan Betab
गिरे हैं जब भी अश्क उनकी आंखों से कभी- शायरी-कृष्ण बेताब -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Krishan Betab गिरे हैं जब भी अश्क उनकी आंखों से कभी बिखरे हैं अंजुम टूटे हुए आसमां से कई और कभी जब मौज में वह आके मुस्कराए हैं एक साथ खिल गए गुल जैसे गुलसितां में …