गिरे तो गिरते गए-खुली आँखें खुले डैने -केदारनाथ अग्रवाल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kedarnath Agarwal

गिरे तो गिरते गए-खुली आँखें खुले डैने -केदारनाथ अग्रवाल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kedarnath Agarwal   गिरे तो गिरते गए गिरते-गिरते आचार से विचार से गिरते गए न हुए अपने न और के, वनमानुष हुए कुठौर के। रचनाकाल: ०९-०२-१९८०