दुनियाँ के तमाशे-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi

दुनियाँ के तमाशे-सूफ़ियाना कलाम -नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi खोल टुक चश्मे तमाशा, यार बाशे फिर कहां। यह शिकारो सैद, यह शिकरे व बाशे फिर कहां। माल दौलत, सोना, रूपा, तोले माशे फिर कहां। दम ग़नीमत है, भला, यह बूदोबाशे फिर कहां। देख ले दुनियाँ को गाफ़िल यह तमाशे …

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