बे-ठिकाने है दिले-ग़मगीं ठिकाने की कहो-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri

बे-ठिकाने है दिले-ग़मगीं ठिकाने की कहो-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri बे-ठिकाने है दिले-ग़मगीं ठिकाने की कहो शामे-हिज्राँ, दोस्तो, कुछ उसके आने की कहो हाँ न पूछो इक गिरफ़्तारे-कफ़स की ज़िन्दगी हमसफ़ीराने-चमन कुछ आशियाने की कहो उड़ गया है मंजिले-दुशवार से ग़म का समन्द गेसू-ए-पुर पेचो-ख़म के ताज़याने की …

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