गिरते उड़ते पत्ते-अमीरी रेखा_कविता संग्रह-कुमार अंबुज-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kumar Ambuj
गिरते उड़ते पत्ते-अमीरी रेखा_कविता संग्रह-कुमार अंबुज-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kumar Ambuj इसमें अचरज और स्मृतियों का दोहराव है कि दृश्य में अब सिर्फ पत्ते उड़ रहे हैं : पीले, भूरे, सूखे, मद्धिम हरे गिरते हए पत्ते किसी का इंतज़ार नहीं करते हालाँकि हमें लगता है वे हमारी ही प्रतीक्षा में …