गायब है गोरैया-प्रो. अजहर हाशमी-Prof. Azhar Hashmi | Hindi Poem | Hindi Kavita,
गायब है गोरैया-प्रो. अजहर हाशमी-Prof. Azhar Hashmi | Hindi Poem | Hindi Kavita, चेतन-चिंतन ‘चह-चह’ का लेकर आती थी, कुदरती घड़ी की ‘घंटी सदृश’ जगाती थी, खिड़की से, कभी झरोखे से घुसकर घर में, भैरवी जागरण की जो सुबह सुनाती थी, गायब है गोरैया, खोजें, फिर घर लाएं । रुठी है तो मनुहार करें, हम …