गाँधी-आश्रम-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi

गाँधी-आश्रम-प्यार पनघटों को दे दूंगा -शंकर लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankar Lal Dwivedi   (एक सत्य घटना पर आधारित जिसका अब कोई पात्र जीवित नहीं) अल्हड़ यौवन की अलमस्ती, उन्मुक्त उरोजों से बाहर। आ कर आरक्त कपोलों पर; फैलाती लज्जा की चादर।। जर्जर, काली साड़ी में से- यों दमक रहा था गोरा …

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