ग़म है बे-माजरा कई दिन से-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia
ग़म है बे-माजरा कई दिन से-गुमाँ-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia ग़म है बे-माजरा कई दिन से जी नहीं लग रहा कई दिन से बे-शमीम-ओ-मलाल-ओ-हैराँ है ख़ेमा-गाह-ए-सबा कई दिन से दिल-मोहल्ले की उस गली में भला क्यूँ नहीं गुल मचा कई दिन से वो जो ख़ुश्बू है उस के …