सूली चढ़ी हैं बस्तियों की बस्तियां-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

सूली चढ़ी हैं बस्तियों की बस्तियां-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi सूली चढ़ी हैं बस्तियों की बस्तियां आदाब ऐ किरदार ए मरग ए नागहां है किस के हाथों में क़लम तलवार सी है कौन जो लिखता लहू से दास्तां होता नहीं है अब दुआओं का असर आलम जहां की बनदगी …

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सुब्ह से शाम तलक-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

सुब्ह से शाम तलक-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi सुब्ह से शाम तलक अहद ए नाकाम तलक खीँच लाती है हया दैर ओ अहराम तलक पुर इबारत न हुई हर्फ़ ए इलज़ाम तलक ज़ीस्त कटती है कटे एक अनजाम तलक एक धोका है ख़ुशी दर्द ओ आलाम तलक कुछ किए …

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या मुझको हद ए इश्क़ की पहचान करा दो-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

या मुझको हद ए इश्क़ की पहचान करा दो-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi या मुझको हद ए इश्क़ की पहचान करा दो या मौज ए तलातुम को मिरे घर का पता दो या आग लगा दो मिरी तनहाई में आकर या घर के उजाले को मिरे कोई दिया दो …

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यह नुस्ख़ा भी कुछ आज़माना पड़ेगा-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

यह नुस्ख़ा भी कुछ आज़माना पड़ेगा-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi यह नुस्ख़ा भी कुछ आज़माना पड़ेगा संभलने को कुछ लडखडाना पड़ेगा दिल ए ज़ार की आज़माइश को फिर से किसी संग से दिल लगाना पड़ेगा बस इक बार सजदा किया मैकदे को ख़बर क्या थी पीछे ज़माना पड़ेगा जो …

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मिज़ाज ए सरफ़रोशी कम नहीं है-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

मिज़ाज ए सरफ़रोशी कम नहीं है-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi मिज़ाज ए सरफ़रोशी कम नहीं है जनून ओ वलवला मधम नहीं है हरीफ़ी ने बपाया है तलातुम रफ़ीक़ आदम का अब आदम नहीं है सभी मशग़ूल हैं बुग़्ज़ ओ अना में किसी को हाजत ए मातम नहीं है फ़ज़ा …

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बुरा कुछ न मेरा ग़रीबी करे-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

बुरा कुछ न मेरा ग़रीबी करे-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi बुरा कुछ न मेरा ग़रीबी करे पशेमां फ़क़त बदनसीबी करे रहें फ़ासले दरमयां उम्र भर कोई ख़ुद से कितना क़रीबी करे कोई दर्द दे कर गया उम्र का कोई उम्र भर को तबीबी करे

बरदाश्त बढ़े इतना कि कोहसार न हो जाऊं-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

बरदाश्त बढ़े इतना कि कोहसार न हो जाऊं-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi बरदाश्त बढ़े इतना कि कोहसार न हो जाऊं डर यह भी है मझको कि मैं दीवार न हो जाऊं बीमारी ए उल्फत से कभी कोई उठा है ख्वाहिश है मिरी इशक़ का बीमार न हो जाऊं ख्वाबों …

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ज़िन्दगी जब भी मुसकुराती है-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

ज़िन्दगी जब भी मुसकुराती है-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi ज़िन्दगी जब भी मुसकुराती है मौत आ आ के छेड़ जाती है किस को आई किसे चली लेकर मौत ख़ुद क़ायदे बनाती है साथ रहती है मेरे माज़ूरी मैं चलूँ वह मुझे चलाती है आप आते हैं मेरी क़िसमत है …

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ज़िन्दगानी के काम एक तरफ़-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

ज़िन्दगानी के काम एक तरफ़-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi ज़िन्दगानी के काम एक तरफ़ अक़द का इंतज़ाम एक तरफ़ हां मुहब्बत का नाम एक तरफ़ साज़ोसामां तमाम एक तरफ़ हुस्न पत्थर मिज़ाज ख़ूब रहे हुस्न का इहतराम एक तरफ़ इक तरफ़ है अदालतों की क़तार हाकिम-ए-बेलगाम एक तरफ़ मेरी …

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जिगर के पार गो तलवार निकले-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi

जिगर के पार गो तलवार निकले-ग़ज़लें-ख़याल लद्दाखी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Khayal Ladakhi जिगर के पार गो तलवार निकले सहन से होके जब दीवार निकले हक़ीक़त है अयां लाशे पे मेरे चलो ख़नजर बकफ़ कुछ यार निकले मेरा दु:शमन भी है पत्थर मुझ ही सा जो टकराए वह मुझ से नार निकले …

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