हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan

हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan जाल समेटा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 1 जाल समेटा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 2 जाल समेटा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part …

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जाल समेटा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 1

जाल समेटा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 1 रक्त की लिखत क़लम के कारखाने हैं, स्याही की फैक्टरियां हैं (जैसे सोडावाटर की) काग़ज़ के नगर हैं । और उनका उपयोग-दुरुपयोग सिखाने के स्कूल हैं, कालेज हैं, युनिवर्सिटियां हैं । और उनकी पैदावार के प्रचार के लिए दुकानें हैं, …

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जाल समेटा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 2

जाल समेटा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 2 दिल्ली की मुसीबत दिल्ली भी क्या अजीब शहर है ! यहाँ जब मर्त्य मरता है-विशेषकर नेता- तब कहते हैं, यह अमर हो गया- जैसे कविता मरी तो अ-कविता हो गई- बापू जी मरे तो इसने नारा लगाया, बापू जी अमर …

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जाल समेटा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 3

जाल समेटा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 3 रेखाएँ हस्तरेखाविदो, तुमने देखकर मेरी हथेली कह दिया है, बन सका जो मैं, किया जो प्राप्त मैंने, बन सका जो नहीं, अनपाया रहा जो,- सब विधाता ने प्रथम ही लिख रखा था खींच मेरे हाथ पर संकेत-गर्भित कुछ लकीरें। पर …

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जाल समेटा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 4

जाल समेटा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 4 प्रेम की मंद मृत्यु लेकिन वह धागा अब काल-जीर्ण, शक्ति-क्षीण, सड़ा-गला; हिलो नहीं, खिंचो नहीं, तनो नहीं-, यह शोख़ी यौवन ही झेल-खेल सकता था– जहाँ और जैसी हो, बुत-सी बन बैठी रहो, समय सहो; बंधन गिरेगा जब तिनका उठेगा नहीं …

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जाल समेटा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 5

जाल समेटा -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 5 कामर होगी जिसकी होगी कामर भीगी-भीगी, भारी-भारी, उसके तन से, मन से लिपटी । बली भुजाओं, कसी मुट्ठियों, लौह उँगलियों से मैंने तो अपनी कसकर खूब निचोड़ी। अब जिसका जी चाहे उस पर बैठे, लेटे, उसे समेटे, देह लपेटे, रक्खे, …

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बाल-कविताएँ-हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 1

बाल-कविताएँ-हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 1 चिड़िया और चुरूंगुन छोड़ घोंसला बाहर आया, देखी डालें, देखे पात, और सुनी जो पत्‍ते हिलमिल, करते हैं आपस में बात;- माँ, क्‍या मुझको उड़ना आया? ‘नहीं, चुरूगुन, तू भरमाया’ डाली से डाली पर पहुँचा, देखी कलियाँ, देखे फूल, ऊपर उठकर फुनगी …

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बाल-कविताएँ-हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 2

बाल-कविताएँ-हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 2 चिड़िया का घर चिड़िया, ओ चिड़िया, कहाँ है तेरा घर? उड़-उड़ आती है जहाँ से फर-फर! चिड़िया, ओ चिड़िया, कहाँ है तेरा घर? उड़-उड़ जाती है- जहाँ को फर-फर! वन में खड़ा है जो बड़ा-सा तरुवर, उसी पर बना है खर-पातों वाला …

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बाल-कविताएँ-हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 3

बाल-कविताएँ-हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 3 अमित के जन्म-दिन पर अमित को बारंबार बधाई! आज तुम्हारे जन्म-दिवस की, मधुर घड़ी फिर आई। अमित को बारंबार बधाई! उषा नवल किरणों का तुमको दे उपहार सलोना, दिन का नया उजाला भर दे घर का कोना-कोना, रात निछावर करे पलक पर …

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दो चट्टानें -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 5

दो चट्टानें -हरिवंशराय बच्चन -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harivansh Rai Bachchan Part 5 मुक्ति के लिए विद्रोह वही है सब जड़ रूढ़ि-रीति-नीति-नियम-निगड़ के समक्ष मेरे हदय में ऊहापोह, मेरे मस्तिष्क में उद्वेलन, मेरे प्राणों में उज्ज्वलन, मेरे चेतन का मुक्ति के लिए विद्रोह ! सार्त्र के नोबल-पुरस्कार ठुकरा देने पर (हिन्दी के बुद्धिजीवियों …

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