इसी आकाश में -हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 4

इसी आकाश में -हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 4   पाप अपने पापों को आटे में गूँथकर पेड़ा बनाइये अपने हाथों पेड़ा गाय को खिलाइये और फिर से पाप करने में जुट जाइये।   दुनिया के सबसे अच्छे लोग सबसे पहले अपना दिमाग़ किसी धर्मगुरु की अँधेरी गुफा में …

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इसी आकाश में -हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 2

इसी आकाश में -हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 2 झील मैं झील हूँ जीवन की शुष्क ढलान पर लटकी अटकी किसी पथरीली चट्टान में कभी मुझे हर समय छूकर गुज़रती थी चंदनी हवा मैं झूम-झूम जाती मेरे किनारे के पेड़ मुझे बूँद-बूँद पीते मेरे जल में भीगती रहती धानी …

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इसी आकाश में -हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 1

इसी आकाश में -हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 1 कविता का सूरज कविता मेरी आत्मा का सूरज है इस सूरज के उजाले में दिपदिपा उठते हैं मेरी आत्मा के रत्न सोया प्रेम जागता है उनींदी घृणा फुफकारती है फड़फड़ा उठते हैं गुह्य संवेदन एक-एक कर लुप्त हो जाते हैं …

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इसी आकाश में -हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 3

इसी आकाश में -हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 3   मिलन बहुत-बहुत बरसों बाद जब बादल ख़ूब बरसते हैं सीझ जाते हैं धरती के पपड़ियाए होंठ धरती बरसते रस को आँखें बंद किए सोखती रहती है उसके रोम-रोम में उन्माद भर जाता है वह अपनी बाहें बादल की काली …

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कुंभ में छूटी औरतें -हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 2

कुंभ में छूटी औरतें -हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 2   शाप ज़मीन ठेके पर चढ़ा गाँव को भूल जाने वाले गाँव की मिट्टी से सारे रिश्ते तोड़ देने वाले जब तू बुढ़ापे में घर लौटे तो अल्लाह करे तुझे गाँव का कोई आदमी न पहचाने तेरे खेत में …

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कुंभ में छूटी औरतें -हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 1

कुंभ में छूटी औरतें -हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 1 रक्त में जगह मेरे जन्म से साढ़े ग्यारह साल पहले मेरे बहुत युवा पिता छोड़ आये थे मुल्तान मैंने कभी नहीं देखा मुल्तान फिर मुल्तान मेरे सपनों में क्यों आता है ? मेरे अंतस् को झिंझोड़ मुझे क्यों बुलाता …

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जहाँ कोई सरहद न हो-हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 1

जहाँ कोई सरहद न हो-हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 1   तस्वीरों के पीछे हम रोज दीवारों पर टँगी तस्वीरों को मुस्कुराते हुए देखते हैं पर हम नहीं जानते इन तस्वीरों के पीछे कितनी मकड़ियों और छिपकलियों ने अपने घर बसा लिए हैं।   टिड्डीदल तुम्हारे बाजरे के खेतों …

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जहाँ कोई सरहद न हो-हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 2

जहाँ कोई सरहद न हो-हरभगवान चावला -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By Harbhagwan Chawla Part 2   शूद्र – दो ब्राह्मणों को ज्ञान दो क्षत्रियों को बल दो वैश्यों को धन दो शूद्रों के पाप क्षमा कर दो ओ कृपालु ईश्वर!   बुत भगत सिंह की किताबें तुम रखो उनके विचार भी तुम्हीं रख लो …

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