जाना कभी उन गलियों में-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal 

जाना कभी उन गलियों में-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal जाना कभी उन गलियों में जहां तुम्हें मनाही है पर तुम जाना और सच देखना जो मनाही की आड़ में छिप जाता है उसे रंडीखाना, वेश्यालय, कोठा और पता नहीं क्या-क्या कहते है तुम नाम में मत फँसना वरना सच को …

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-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal

कभी देखना मेरी नज़र से-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal कभी देखना मेरी नज़र से उन अँधेरे-बंद कमरों को जहाँ तुम मुझे कैद करते हो मेरे स्तनों को रौंदते हो मेरी योनि को चीरते हो और अपनी मर्दानगी का दम्भ भरते हो कभी करना महसूस उन घावों को जो मैंने अपने …

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क्यों न मृत्यु का भी उत्सव किया जाए-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal 

क्यों न मृत्यु का भी उत्सव किया जाए-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal एक मात्र शाश्वत सत्य यही, शिव के त्रिनेत्र का रहस्य यही, चंडी का नैसर्गिक रौद्र नृत्य यही, कृष्णा सा श्यामला, राधा सा शस्य यही। तो क्यों न मीरा सा इसका भी विषपान किया जाए। ये अनादि है, ये …

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स्त्री मात्र शून्य है-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal 

स्त्री मात्र शून्य है-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal जिस्मों की हिस्सेदारी में मेरा और उसका ये अनुपात था कि उसको मेरे बाल, होंठ, गाल, स्तन, पेट, नितम्ब, जाँघ, योनि और टाँगों से खेलने और उनको खोलने की पूरी आज़ादी थी और मेरे हिस्से में थी उसके किए प्यार के उपरान्त …

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ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 2

ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 2 जिसे जन्नत कहते हैं, वो हिन्दुस्तान हर घड़ी दिखाएँगे कुछ इस तरह अपने कलम की जादूगरी दिखाएँगे किसी की ज़ुल्फ़ों में लहलहाते खेत हरी-भरी दिखाएँगे छोड़ो उस आसमाँ के चाँद को, मगरूर बहुत है रातों को अपनी गली में हम चाँद बड़ी-बड़ी दिखाएँगे किस्सों …

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ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 1

ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 1 वो सीने से लगकर यूँ रो दिए वो सीने से लगकर यूँ रो दिए जितने भी पाप थे, सारे धो दिए छूके अपनी जादुई निगाहों से जवानी के कितने वसंत बो दिए हर पल हीरा हर पल जवाहरात अपनी ज़िंदगी के पल उसने जो …

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तुमने अभी हठधर्मिता देखी ही कहाँ है-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal 

तुमने अभी हठधर्मिता देखी ही कहाँ है-कविता -सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal तुमने अभी हठधर्मिता देखी ही कहाँ है अंतर्मन को शून्य करने का व्याकरण मुझे भी आता है अल्पविराम, अर्धविराम, पूर्णविराम की राजनीति मैं भी जानती हूँ यूँ भावनाशून्य आँकलन के सिक्के अब और नहीं चलेंगे स्त्रियों का बाजारवाद अब …

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ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 3

ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 3 तुम्हारी महफ़िल में और भी इंतज़ाम है तुम्हारी महफ़िल में और भी इंतज़ाम है या फिर वही साकी, वही मैकदा, वही जाम है शायर बिकने लगे हैं अपने ही नज़्मों की तरफ पुराने शेरों को जामा पहना कर कहते नया कलाम हैं आप शरीफ …

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ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 4

ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 4 भूख लगे तो रोटी की जात नहीं पूछा करते भूख लगे तो रोटी की जात नहीं पूछा करते पेट को लगेगी बुरी,ये बात नहीं पूछा करते ये धरती बिछौना ,ये आसमाँ है शामिआना बेघरों से बारहाँ दिन -रात नहीं पूछा करते मालूम है कि …

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ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 8

ग़ज़लें-सरवरिन्दर गोयल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sarvarinder Goyal Part 8 माना वक़्त बुरा है तो मर जाएँ क्या माना वक़्त बुरा है तो मर जाएँ क्या अपनी ही निगाहों से उतर जाएँ क्या हर चीज़ मेरे मुताबिक हो, जरूरी तो नहीं इतने से ग़म में जाँ से गुज़र जाएँ क्या मैंने जीने का वायदा …

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