ग़ज़लें -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazlein Part 4

ग़ज़लें -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazlein Part 4 अलमारी से ख़त उस के पुराने निकल आए अलमारी से ख़त उस के पुराने निकल आए फिर से मिरे चेहरे पे ये दाने निकल आए माँ बैठ के तकती थी जहाँ से मिरा रस्ता मिट्टी के हटाते ही ख़ज़ाने निकल आए मुमकिन …

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ग़ज़लें -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazlein Part 3

ग़ज़लें -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazlein Part 3 अना हवस की दुकानों में आ के बैठ गई अना हवस की दुकानों में आ के बैठ गई अजीब मैना है शिकरों में आ के बैठ गई जगा रहा है ज़माना मगर नहीं खुलतीं कहाँ की नींद इन आँखों में आ के …

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ग़ज़लें -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazlein Part 2

ग़ज़लें -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazlein Part 2 अच्छी से अच्छी आब-ओ-हवा के बग़ैर भी अच्छी से अच्छी आब-ओ-हवा के बग़ैर भी ज़िंदा हैं कितने लोग दवा के बग़ैर भी साँसों का कारोबार बदन की ज़रूरतें सब कुछ तो चल रहा है दुआ के बग़ैर भी बरसों से इस मकान …

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ग़ज़लें -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazlein Part 1

ग़ज़लें -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazlein Part 1 अच्छा हुआ कि मेरा नशा भी उतर गया अच्छा हुआ कि मेरा नशा भी उतर गया तेरी कलाई से ये कड़ा भी उतर गया वो मुतमइन बहुत है मिरा साथ छोड़ कर मैं भी हूँ ख़ुश कि क़र्ज़ मिरा भी उतर गया …

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