ग़ज़लें -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazlein Part 4
ग़ज़लें -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana Ghazlein Part 4 अलमारी से ख़त उस के पुराने निकल आए अलमारी से ख़त उस के पुराने निकल आए फिर से मिरे चेहरे पे ये दाने निकल आए माँ बैठ के तकती थी जहाँ से मिरा रस्ता मिट्टी के हटाते ही ख़ज़ाने निकल आए मुमकिन …