भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji

राग जात रागी जानै, बैरागै बैरागी जानै-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji जाकै एक फन पै धरन है सो धरनीधर-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji चीकने कलस पर जैसे ना टिकत बून्द-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita …

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राग जात रागी जानै, बैरागै बैरागी जानै-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji

राग जात रागी जानै, बैरागै बैरागी जानै-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji राग जात रागी जानै, बैरागै बैरागी जानै त्यागह त्यागी जानै, दीन दया दान है । जोग जुगत जोगी जानै, भोगरस भोगी जानै रोग दोख रोगी जानै प्रगट बखान है । फूल राख माली जानै, पानह तम्बोली …

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जाकै एक फन पै धरन है सो धरनीधर-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji

जाकै एक फन पै धरन है सो धरनीधर-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji जाकै एक फन पै धरन है सो धरनीधर तांह गिरधर कहै कउन बड्यायी है । जाको एक बावरो कहावत है बिस्वनाथ ताह ब्रिजनाथ कहे कौन अधिकायी है । सगल अकार ओंकार के बिथारे जिन ताह …

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चीकने कलस पर जैसे ना टिकत बून्द-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji

चीकने कलस पर जैसे ना टिकत बून्द-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji चीकने कलस पर जैसे ना टिकत बून्द कालर मैं परे नाज निपजै न खेत जी । जैसे धरि पर तरु सेबल अफल अरु बिख्या बिरख फले जगु दुख देत जी । चन्दन सुबास बांस बास बास …

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जैसे धोभी साबन लगाय पीटै पाथर सै-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji

जैसे धोभी साबन लगाय पीटै पाथर सै-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji जैसे धोभी साबन लगाय पीटै पाथर सै निरमल करत है बसन मलीन कउ । जैसे त सुनार बारम्बार गार गार ढार । करत असुध सुध कंचन कुलीन कउ । जैसे तउ पवन झकझोरत बिरख मिल मलय …

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केहरि अहार मास, सुरही अहार घास-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji

केहरि अहार मास, सुरही अहार घास-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji केहरि अहार मास, सुरही अहार घास मधुप कमल बास लेत सुख मान ही । मीनह निवास नीर, बालक अधार खीर सरपह सखा समीर जीवन कै जान ही । चन्दह चाहै चकोर घनहर घटा मोर चात्रिक बून्दनस्वांत धरत …

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जैसे चूनो खांड स्वेत एकसे दिखायी देत ।-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji

जैसे चूनो खांड स्वेत एकसे दिखायी देत ।-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji जैसे चूनो खांड स्वेत एकसे दिखायी देत । पाईऐ तौ स्वाद रस रसना कै चाखीऐ । जैसे पीत बरन ही हेम अर पीतर ह्वै जानीऐ महत पारखद अग्र राखीऐ । जैसे कऊआ कोकिला है दोनो …

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जैसे तौ समुन्द बिखै बोहथै बहाय दीजै ।-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji

जैसे तौ समुन्द बिखै बोहथै बहाय दीजै ।-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji जैसे तौ समुन्द बिखै बोहथै बहाय दीजै । कीजै न भरोसो जौ लौ पहुचै न पार कौ । जैसे तौ क्रिसान खेत हेतु करि जोतै बोवै । मानत कुसल आन पैठे ग्रेह द्वार कौ । …

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जैसे पोसती सुनत कहत पोसत बुरो ।-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji

जैसे पोसती सुनत कहत पोसत बुरो ।-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji जैसे पोसती सुनत कहत पोसत बुरो । तांके बसि भयो छाडयो चाहै पै न छूटयी । जैसे जूआ खेल बित हार बिलखै जुआरी । तऊ पर जुआरन की संगत न टूटयी । जैसे चोर चोरी जात …

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पेखत पेखत जैसे रतन पारुखु होत-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji

पेखत पेखत जैसे रतन पारुखु होत-कबित्त-भाई गुरदास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Bhai Gurdas Ji पेखत पेखत जैसे रतन पारुखु होत सुनत सुनत जैसे पंडित प्रबीन है । सूंघत सूंघत सौधा जैसे तउ सुबासी होत गावत गावत जैसे गायन गुनीन है । लिखत लिखत लेख जैसे तउ लेखक होत चाखत चाखत जैसे …

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