धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati

धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati तृतीय अंक-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati पाँचवाँ अंक-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati समापन-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati चौथा अंक-अन्धा युग-पहला अंक- …

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तृतीय अंक-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati

तृतीय अंक-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati अश्वत्थामा का अर्द्धसत्य कथा-गायन संजय का रथ जब नगर द्वार पहुँचा तब रात ठल रही थी। हारी कौरव सेना कब लौटेगी यह बात चल रही थी संजय से सुनते-सुनते युद्ध-कथा हो गयी सुबह; पाकर यह गहन व्यथा गान्धारी पत्थर थी; उस …

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पाँचवाँ अंक-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati

पाँचवाँ अंक-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati विजयःएक क्रमिक आत्महत्या कथा गायन दिन, हफ्ते, मास, बरस बीतेः ब्रह्मास्त्रों से झुलसी धरती यद्यपि हो आयी हरी भरी अभिषेक युधिष्ठिर का सम्पन्न हुआ, फिर से पर पा न सकी खोयी शोभा कौरव-नगरी। सब विजयी थे लेकिन सब थे विश्वास-ध्वस्त थे …

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समापन-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati

समापन-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati प्रभु की मृत्यु वंदना तुम जो हो शब्द-ब्रह्म, अर्थों के परम अर्थ जिसका आश्रय पाकर वाणी होती ना व्यर्थ है तुम्हे नमन, है उन्हे नमन करते आये हैं जो निर्मन मन सदियों से लीला का गायन हरि के रहस्यमय जीवन की; है …

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चौथा अंक-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati

चौथा अंक-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati   गांधारी का शाप कथा-गायन वे शंकर थे वे रौद्र-वेशधारी विराट प्रलयंकर थे जो शिविर-द्वार पर दीखे अश्वत्थामा को अनगिनत विष भरे साँप भुजाओं पर बाँधे वे रोम-रोम अगणित महाप्रलय साधे जो शिविर द्वार पर दीखे अश्वत्थामा को बोले वे जैसे …

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द्वितीय अंक-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati

द्वितीय अंक-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati पशु का उदय कथा-गायन संजय तटस्थद्रष्टा शब्दों का शिल्पी है पर वह भी भटक गया असंजस के वन में दायित्व गहन, भाषा अपूर्ण, श्रोता अन्धे पर सत्य वही देगा उनको संकट-क्षण में वह संजय भी इस मोह-निशा से घिर कर है …

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पहला अंक-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati

पहला अंक-अन्धा युग-पहला अंक- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati कौरव नगरी (तीन बार तूर्यनाद के उपरान्त कथा-गायन) टुकड़े-टुकड़े हो बिखर चुकी मर्यादा उसको दोनों ही पक्षों ने तोड़ा है पाण्डव ने कुछ कम कौरव ने कुछ ज्यादा यह रक्तपात अब कब समाप्त होना है यह अजब युद्ध है नहीं किसी …

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अन्धा युग- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati Part 2

अन्धा युग- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati Part 2 उद्घोषणा जिस युग का वर्णन इस कृति में है उसके विषय में विष्णु-पुराण में कहा है : ततश्चानुदिनमल्पाल्प ह्रास व्यवच्छेददाद्धर्मार्थयोर्जगतस्संक्षयो भविष्यति।’ उस भविष्य में धर्म-अर्थ ह्रासोन्मुख होंगे क्षय होगा धीरे-धीरे सारी धरती का। ‘ततश्चार्थ एवाभिजन हेतु।’ सत्ता होगी उनकी। जिनकी पूँजी …

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अन्धा युग- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati Part 1

अन्धा युग- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati Part 1 पात्र अश्वत्थामा, गान्धारी, विदुर, धृतराष्ट्र, युधिष्ठिर, कृतवर्मा, कृपाचार्य, संजय, युयुत्सु, वृद्ध याचक, गूँगा भिखारी, प्रहरी 1, प्रहरी 2, व्यास, बलराम, कृष्ण घटना-काल महाभारत के अट्ठारहवें दिन की संध्या से लेकर प्रभास-तीर्थ में कृष्ण की मृत्यु के क्षण तक। स्थापना [नेपथ्य से …

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समापन-कनुप्रिया-समापन- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati

समापन-कनुप्रिया-समापन- धर्मवीर भारती-HindiPoetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati क्या तुमने उस वेला मुझे बुलाया था कनु ? लो, मैं सब छोड़-छाड़ कर आ गयी ! इसी लिए तब मैं तुममें बूँद की तरह विलीन नहीं हुई थी, इसी लिए मैंने अस्वीकार कर दिया था तुम्हारे गोलोक का कालावधिहीन रास, क्योंकि मुझे फिर …

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