कविताएँ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 7

कविताएँ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 7 छीर कैसी छीरावध छाछ छीर कैसी छीरावध छाछ कैसी छ्त्रानेर छपाकर कैसी छबि कालिंद्र के कूल कै ॥ हंसनी सी सीहारूम हीरा सी हुसैनाबाद गंगा कैसी धार चली सात सिंध रूल कै ॥ पारा सी पलाऊगढ रूपा कैसी रामपुर …

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कविताएँ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 6

कविताएँ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 6 सिधि को सरूप हैं सिधि को सरूप हैं कि बुधि को बिभूति हैं कि क्रोध को अभूत हैं कि अछै अबिनासी हैं ॥ काम को कुनिंदा हैं कि खूबी को दिहंदा हैं गनीमन को गिरिंदा हैं कि तेज को …

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कविताएँ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 5

कविताएँ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 5 बंग के बंगाली बंग के बंगाली फिरहंग के फिरंगावाली दिली के दिलवाली तेरी आगिआ मै चलत हैं ॥ रोह के रुहेले माघ देस के मघेले बीर बंग सी बुंदेले पाप पुंज को मलत हैं ॥ गोखा गुन गावै चीन …

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कविताएँ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 4

कविताएँ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji  4 नारद से चतुरानन से नारद से चतुरानन से रुमनारिख से सभ हूं मिलि गाइओ ॥ बेद कतेब न भेद लखिओ सभ हार परे हरि हाथ न आइओ ॥ पाइ सकै नही पार उमापित सि्ध सनाथ सनंतन धिआइओ ॥ धिआन …

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कविताएँ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 3

कविताएँ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 3 दाहत है दुख दोखन कौ दाहत है दुख दोखन कौ दल दु्जन के पल मै दल डारै ॥ खंड अखंड प्रचंड प्रहारन पूरन प्रेम की प्रीत स्मभारै ॥ पार न पाइ सकै पदमापति बेद कतेब अभेद उचारै ॥ रोजी …

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कविताएँ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 2

कविताएँ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 2 कोऊ भइओ मुंडीआ संनिआसी कोऊ कोऊ भइओ मुंडीआ संनिआसी कोऊ जोगी भइओ कोऊ ब्रहमचारी कोऊ जती अनुमानबो ॥ हिंदू तुरक कोऊ राफजी इमाम साफी मानस की जाति सबै एकै पहिचानबो ॥ करता करीम सोई राजक रहीम ओई दूसरो न …

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कविताएँ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 1

कविताएँ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 1 सेव करी इन ही की भावत सेव करी इन ही की भावत अउर की सेव सुहात न जीको ॥ दान दयो इन ही को भलो अरु आन को दान न लागत नीको ॥ आगै फलै इन ही को दयो …

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 जु्ध जिते इन ही के प्रसादि-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 

जु्ध जिते इन ही के प्रसादि- गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji जु्ध जिते इन ही के प्रसादि इन ही के प्रसादि सु दान करे ॥ अघ अउघ टरै इन ही के प्रसादि इन ही क्रिपा फुन धाम भरे ॥ इन ही के प्रसादि सु बि्दिआ …

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 काहे कउ पूजत पाहन कउ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 

काहे कउ पूजत पाहन कउ-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji काहे कउ पूजत पाहन कउ कछु पाहन मै परमेसुर नाही ॥ ताही को पूज प्रभू करि कै जिह पूजत ही अघ ओघ मिटाही ॥ आधि बिआधि के बंधन जेतक नाम के लेत सभै छुटि जाही ॥ …

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जागति जोत जपै निस बासुर- गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji 

जागति जोत जपै निस बासुर-गुरू गोबिन्द सिंह जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Gobind Singh Ji जागति जोत जपै निस बासुर एक बिना मन नैक न आनै ॥ पूरन प्रेम प्रतीत सजै ब्रत गोर मड़ी मट भूल न मानै ॥ तीरथ दान दइआ तप संजम एक बिना नह एक पछानै ॥ पूरन …

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