लाहूत पर न देखें जो क़ुदसियाँ तमाशा-इंशा अल्ला खाँ ‘इंशा’ -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Insha Allah Khan Insha
लाहूत पर न देखें जो क़ुदसियाँ तमाशा-इंशा अल्ला खाँ ‘इंशा’ -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Insha Allah Khan Insha लाहूत पर न देखें जो क़ुदसियाँ तमाशा सो हम को है दिखाता इश्क़-ए-बुताँ तमाशा टुक कीजे चश्म-ए-दिल से याँ सैर मय-कदे की हैगा अजब मज़े का पीर-ए-मुग़ाँ तमाशा जिस ने सुने ये मेरे …