इक सहमी सहमी सी आहट है, इक महका महका साया है-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,

इक सहमी सहमी सी आहट है, इक महका महका साया है-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi, इक सहमी सहमी सी आहट है, इक महका महका साया है एहसास की इस तन्हाई में यह रात गए कौन आया है ए शाम आलम कुछ तू ही बता, यह ढंग …

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इंक़लाब अपना काम करके रहा-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,

इंक़लाब अपना काम करके रहा-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi, इंक़लाब अपना काम करके रहा इंक़लाब अपना काम करके रहा बादलों में भी चांद उभर के रहा है तिरी जुस्तजू गवाह, कि तू उम्र-भर सामने नज़र के रहा रात भारी सही कटेगी जरूर दिन कड़ा था मगर …

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एजाज़ है ये तेरी परेशाँ-नज़री का-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,

एजाज़ है ये तेरी परेशाँ-नज़री का-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi, एजाज़ है ये तेरी परेशाँ-नज़री का इल्ज़ाम न धर इश्क़ पे शोरीदा-सरी का इस वक़्त मिरे कल्बा-ए-ग़म में तिरा आना भटका हुआ झोंका है नसीम-ए-सहरी का तुझ से तिरे कूचे का पता पूछ रहा हूँ इस …

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एहसास में फूल खिल रहे हैं-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,

एहसास में फूल खिल रहे हैं-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi, एहसास में फूल खिल रहे हैं पतझड़ के अजीब सिलसिले हैं कुछ इतनी शदीद तीरगी है आँखों में सितारे तैरते हैं देखें तो हवा जमी हुई है सोचें तो दरख़्त झूमते हैं सुक़रात ने ज़हर पी …

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क़लम दिल में डुबोया जा रहा है-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,

क़लम दिल में डुबोया जा रहा है-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi, क़लम दिल में डुबोया जा रहा है नया मंशूर लिक्खा जा रहा है मैं कश्ती में अकेला तो नहीं हूँ मिरे हमराह दरिया जा रहा है सलामी को झुके जाते हैं अश्जार हवा का एक …

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क्या भरोसा हो किसी हमदम का-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,

क्या भरोसा हो किसी हमदम का-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi, क्या भरोसा हो किसी हमदम का चांद उभरा तो अंधेरा चमका सुबह को राह दिखाने के लिए दस्ते-गुल में है दीया शबनम का मुझ को अबरू, तुझे मेहराब पसन्द सारा झगड़ा इसी नाजुक ख़म का हुस्न …

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क्या भला मुझ को परखने का नतीजा निकला-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,

क्या भला मुझ को परखने का नतीजा निकला-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi, क्या भला मुझ को परखने का नतीजा निकला ज़ख़्म-ए-दिल आप की नज़रों से भी गहरा निकला तोड़ कर देख लिया आईना-ए-दिल तूने तेरी सूरत के सिवा और बता क्या निकला जब कभी तुझको पुकारा …

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किस को क़ातिल मैं कहूं किस को मसीहा समझूं-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,

किस को क़ातिल मैं कहूं किस को मसीहा समझूं-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi, किस को क़ातिल मैं कहूं किस को मसीहा समझूं सब यहां दोस्त ही बैठे हैं किसे क्या समझूं वो भी क्या दिन थे की हर वहम यकीं होता था अब हक़ीक़त नज़र आए …

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कौन कहता है कि मौत आयी तो मर जाऊँगा-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,

कौन कहता है कि मौत आयी तो मर जाऊँगा-ग़ज़लें -अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi, कौन कहता है कि मौत आयी तो मर जाऊँगा मैं तो दरिया हूं, समन्दर में उतर जाऊँगा तेरा दर छोड़ के मैं और किधर जाऊँगा घर में घिर जाऊँगा, सहरा में बिखर जाऊँगा …

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अजब सुरूर मिला है मुझे दुआ कर के-अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,

अजब सुरूर मिला है मुझे दुआ कर के-अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi, अजब सुरूर मिला है मुझे दुआ कर के कि मुस्कुराया ख़ुदा भी सितारा वा कर के गदा-गरी भी इक उस्लूब-ए-फ़न है जब मैं ने उसी को माँग लिया उस से इल्तिजा कर के शब-ए-फ़िराक़ के …

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